पढ़े-लिखे श्रोताओं का
कवि-सम्मलेन में आना
अब नहीं होगा आसान
क्योंकि,
गेट पर खड़ा दरबान
आने वाले सभी श्रोताओं से
रजिस्टर में अंगूठा लगवाएगा !
और जिसने भी
हस्ताक्षर करने की क़ोशिश की
बाहर से ही भगा दिया जाएगा !

अच्छी याददाश्त वाले
श्रोता भी कवि-सम्मलेन में
बहुत बड़ी बाधा हैं इनके
न आने में ही कवि-सम्मलेन
और कवियों की भलाई है
क्योंकि,
वर्षों से किसी भी बड़े कवि ने
एक भी नई कविता नहीं सुनाई है !

एक ही चुटकुले को एक ही
कवि-सम्मलेन में एक-एक कर
सभी कवियों के मुँह से सुनने के
बाद भी जो श्रोता हँसता हुआ पाया
जाएगा उसका लक्की ड्रॉ करवाया जाएगा !

ड्रॉ में जिस भी
श्रोता का नाम आया
कवि रात्रि-भोज उसी के
यहाँ खाएंगे और धन्यवाद
ज्ञापन में वही चुटकुला दोबारा सुनाएंगे ।

श्रोता पुराने जूते-चप्पल पहनकर
कवि-सम्मलेन में नहीं आएंगे !
और
कवयित्रियों के लिए
अतिरिक्त ताली भी नही बजाएंगे !

हूट करने वाले श्रोता से
हज़ार रुपये की रक़म
ज़ुर्माना के रूप में ली जाएगी
और तत्काल प्रभाव से ये राशि
हूट हुए कवि को दी जाएगी !

इस व्यवस्था से
कवि फूले नहीं समाएंगे
ख़ुद को हूट करने के लिए
श्रोताओं को बार-बार उकसाएंगे !

श्रोता से आयोजक
बने लोग ज़्यादा सम्मान पाएंगे
सारे कवि उन्हें अपना बड़ा भाई बताएंगे !

कवि-सम्मलेन के जुमले
दोस्तों को सुनाते हुए
पकड़े जाने पर आयोजकों
द्वारा क्लेम लिया जाएगा
आयोजक क्लेम की राशि
ख़ुद नहीं खाएंगे बल्कि
उन पैसों से दोबारा
कवि-सम्मलेन करवाएंगे !

कोई भी
कवि से कविता का अर्थ नहीं पूछेगा
और कवयित्रियों से
डेट ऑफ़ बर्थ नहीं पूछेगा !

कवि किसीकी भी कविता को
अपना कह कर सुनाएंगे
और कवयित्रियों को
पाँच सौ रुपये अतिरिक्त
साज-सज्जा के लिए दिए जाएंगे !

और
आचार-संहिता
का आखरी नियम
सभी को अपनाना होगा
कविता चाहे कैसी भी हो ख़त्म
होते ही ताली बजाकर उल्लास जताना होगा !!

Tags: Happiness

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