नींद अपने आप दीवाने तलक तो आ गई,
दोस्ती में धूप तह्खाने तलक तो आ गई !
जाने अब कितना सफर बाकी बचा है उम्र का,
जिन्दगी उब्ले हुये खाने तलक तो आ गई !
चाहिये आब और क्या सेहरा नवरदी ये बता,
मुझको वहशत ले के वीराने तलक तो आ गई !
देख ले ज़ालिम शिकारी माँ की ममता देख ले,
देख ले चिडिया तेरे दाने तलक तो आ गई !
अब हवा थी इस तरफ की या करम फरमाई थी,
जुल्फ जाना कम से कम शाने तलक तो आ गई !
और कितनी ठोकरें खायेगी तू ऎ जिन्दगी,
खुदकुशी करने को मयखाने तलक तो आ गई !
और कितनी गरम जोशी चाहिए जज्बात में,
दुश्मनी की आंच दस्ताने तलक तो आ गई !!
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- ARAK VATSA