"गर्दिशों, मुफ़लिसी के बुरे दिन,
तेरी कमी दिल कचोटती है,
फिर एहसास होता है तेरे बिन,
मेरे दिल में फैला अथाह शून्य....
बिन पेन्दे के लोटे सा था मेरा जीवन,
उन्मुक्त अपार आकाश में उड़ान थी,
एक हलचल अजीब मगर खुशनुमा,
स्थिरता संग लिए तेरा स्वागत....
ये स्वागत कब आदत, फिर ज़रूरत सी बनी,
सोचा ना था कभी, कुछ ऐसा सोच लिया,
एक रोज फिर नयी हलचल मगर अजीब,
हृदय क्रंदन करता है अब भी,
तू चली गयी, कोई नही, ये तेरा जीवन,
जिसे चाहा है मैने, सारे फ़ैसले सीरोधारी,
एक बात जो हृदय को चीरती है,
मेरे जमीर लो ललकारती है नित,
मेरे अस्तित्व को गुनहगार साबित करने पर आमादा,
तेरा यूँ खामोशी से मुँह मोड़ना,
पलटकर फिर ना देखना,
मैं लाश हुआ की नहीं........"
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- KUNAL BABA
Comments (1 so far )
TANYUT SHARMA
Nice
November 17th, 2014