सुनो, जब जा रही हो तो सब लेते जाना ,
जो तुमने दिखाया वो ख्वाब भी,
उस गुलशन का वो गुलाब भी,
ख्वाइशों की वो किताब सब,
वो लहज़ा और लिहाज़ भी।
वो बाद-ए-सबा, वो बारिशें ,
वो मुख़तलिफ़ फ़रमाइशें ,
वो शोखियाँ , गुश्ताखियाँ ,
उस सर्द का वो लिहाफ़ भी|
तुम जा रही हो तो सब लेते जाना
मैं क्या करूँगा उस शाम का,
जो न हो सका तेरे नाम का ,
उस दौर का , दस्तूर का ,
तेरे लिए उस फितूर का ,
वो रात भी , वो बात भी ,
वो पहली पहली मुलाकात भी ,
तेरे दिए हर दर्द और
उस दर्द का हिसाब भी|
सुनो, जब जा रही हो तो सब लेते जाना
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- KUMAR SARITENDRA
Comments (2 so far )
STEELFACED GUY
It's great! nicely written.
May 10th, 2020
Author
Thanks
November 17th, 2021