छत पर बैठा हुआ हूँ | दूर बारिश के पानी से सरोबार उजले चमचमाते हुए खेत को देख कर मन प्रफुलित हो रहा है | बर्षा रानी पिछले सालो से न जाने कहाँ चली गयी थी और कितना मनाने के बाद आई है | किसानो के चेहरे पर ख़ुशी की झलक देख मन गदगद हो रहा है | चारों तरफ खेतों में धान रोपनी की रौनक गाँव में अद्भुत नजारा का दीदार करवा रही है | खेतों के पगडंडी से लेकर बाजार तक का चहल पहल आने वाली संपनता का प्रतिसुचक लग रहा है |
लेकिन इस सब से इतर राजधानी पटना और जिला मुख्यालय के सचिवालय के एक ख़ास वर्ग के कार्यालय में धुल से सनी टाइपराइटर और कंप्यूटर को झाड़ा जा रहा है | उनके लिए ये मौसम काफी इंतज़ार बाद आया है | सालों का डिपार्टमेंटल सुखा को खत्म कर कमाने के दिन के इंतज़ार में इनके कुर्शी भी बेजान हो चली थी | चहल पहल सड़क निर्माण बिभाग में भी बढ़ सा गया है | रात दिन इंजिनियर और ठेकेदार बाढ़ के पानी के फैलाव पर विवचेना कर रहें हैं | पल पल की खबर टीबी और क्षेत्र के दलालों से ली जा रही है | बाढ़ के पानी के नये पुराने बने बनायें सड़कों पर चढ़ते ही जश्न मनाने का दौर शुरू हो जाता है |
और जल संसाधन बिभाग की तो पूछिए मत | दिन रात चेक पर साइन होने लगा है | ठेकेदार बिना बांध बनाये ही मिटटी कटाव का रिपोर्ट मीडिया में लिखवाने लगे हैं | पैसों का तबरातोड़ आवंटन, मीटिंग का दौर, फील्ड सर्वेक्षण के लिए इंजिनियर ठेकेदार का ताँता लगने लगा है | नई पुरानी सारी फाइल शताब्दी एक्सप्रेस की भातीं पास करने के लिए कर्मचारियों की छुट्टी रद्द की जा रही है | मंत्री जिलाधिकारी से डायरेक्ट संपर्क कर अपने चिन्नित ठेकदारों की फाइल तत्काल पास करवा रहें हैं | सालो से फसी फाइल और हवा में की गयी काम का रामराज्य आ गया है |
इधर एक कोने पर पड़ा आपदा प्रबंधन बिभाग की तो अब पूछिए मत | जिस बिभाग के मंत्री की सालों पूछ नहीं होती, जिस बिभाग में कर्मचारी सालों चैम्बर में आ कर सोने का कम करते हों, जहाँ सालों आपदा से बचाव के लिए काम होना चहिये वहां बस बाढ़ का इंतज़ार किया जाता हो, उस बिभाग की रौनक बाढ़ आते ही क्या होगी ये हम जैसे चुनिंदा लोग ही जान सकते हैं | खैर मंत्री जी को अब हेलीकाप्टर मिल जायेगा, मुख्यमंत्री, सचिव, प्रधानमंत्री, तक से डायरेक्ट बात होगी, मीडिया इनके पीछे भागेगी और हम जैसे लोग गली नुक्कड़ पर इनका पुतला दहन करेंगे | डिपार्टमेंट में लगा बड़ा बड़ा एलसीडी में ये सब देख पूरा आपदा प्रबंधन डिपार्टमेंट आनंदित होगा |
और अब सवाल ये है कि हम क्या करेंगे | हमारा क्षेत्र हैं, हमारे लोग हैं, हमारी लोगों के प्रति निष्ठा हैं और इन सब को जानते समझते हुए ही तो सालों हम अपने लोगों को चीख-चीख कर समझाते रहते हैं कि सत्ता में बैठे ये तमाम लोग लुटेरें हैं | ये शोषक हैं | सालों गिदर के भातीं ये इंतज़ार करते रहते हैं लाशों का ताकि उनको भी नोच-नोच कर खा सके | और आप हमारी बातों को समझ नहीं पाते हैं | खैर हमारा अपना कर्तव्य है | हम आपदा-बिपदा, सुख-दुःख में आपके साथ थें, हैं, रहेंगें | हम गाँव- पगडंडियों में दुखियों के बीच कर्म करते हुए आपको मिलते रहेंगे |