जिंदगी को बेवजह हम
दुश्मन समझ बैठे थे,
कमबख्त ये तो
महबूबा निकली,
अब नजर में
इतनी आग है जुनून की,
बर्दास्त बहुत हुआ अब तलक,
अब तो खुद को पिघलाकर
फौलाद बनने की तैयारी है💪
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- JITENDRA SINGH