तेरी हर अल्फाज़ को मैंने इश्क - ए - जाम कहा,
ये और बात है की तुझपे छाया नशा किसी और का रहा,
तूने जो कहा उसे सुबह से लेकर शाम सुना,
ये और बात है की तारीफें तूने किसी और की कही,
तेरे नैनों के काजल को बदरी तो कभी जुल्फों को घटा घनघोर कहा,
ये और बात है की तेरी पलकों को इंतजार किसी और का रहा,
ग़ुरबत में तेरी हम खुद को भुलाये बैठे रहे,
ये और बात है की तूने हमसफ़र किसी और को कहा,
तेरी हर अल्फाज़ को मैंने इश्क - ए - जाम कहा !!!!
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- JITENDRA SINGH