कुछ  जज़्बात  पड़े  हैं  इन डायरी  के  पन्नो में ,

जो  अब  मैं  तुमसे  कह  नहीं पाता .....

 

कुछ के सर कलम कर दिए ,

और कुछ ज़िंदा दफन कर दिए ,

ये वो थे हो मैं तुमसे कह नहीं पाया.....

 

कुछ अभी भी बाकि है जो अधमरे से तड़प रहे हैं,

और हैं कुछ जो सहमे से इधर उधर भटक रहे हैं,

ये वो है जो बिन कहे मैं नहीं पाता ......

 

कुछ ने दम तोड़ दिए,

कुछ ने अपने एहसास छोड़ दिए ,

और कुछ जो यूँही जाया कर दिए,

ये वो थे जो मैंने कह तो दिए थे पर तुम्हे वो समझा नहीं पाया..... 

 

कुछ  जज़्बात  पड़े  हैं  इन डायरी के  पन्नो में 

जो  अब  मैं  तुमसे  कह  नहीं पाता .....! 

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