कोई जो मिला इस बरस की जीना सीख गए,
मुस्का दिया वो पहली दफा यूँ की, मुस्कुराना सीख गए |
यूँ नहीं था की हम, पहले मुस्कुराते नहीं थे.
बस उनके मिलने पर हम हर गम को भूल जाना सीख गए |
यूँ नहीं था की हम, वाकिफ नहीं थे जिंदगी की सच्चाई से,
बस उनके मिलने से हम हार कर भी जीत जाना सीख गए |
यूँ नहीं था की हमने, महसूस नहीं की थी ये हवाएं,
बस उनके मिलने से, इन फिजाओं संग बह जाना सीख गए |
यूँ तो पहले भी हमने, मनाए थे त्यौहार बहुत,
बस उनके आ जाने से, हर त्यौहार में लाना होली की बहार सीख गए |
यूँ नहीं था की, हमारा दिल पहले धड़कता नहीं था,
बस उनके आ जाने से, धड़कना उनके नाम पर बेसुमार सीख गए |
कोई जो मिला इस बरस की जीना सीख गए,
वो गीत बनकर आया मेरी दुनिया में, हम राग मल्हार गाना सीख गए ||
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- TUSHAR TURKAR