एक दिन जब छूट जाएगा तेरा साथ,अधूरे रह जाएंगे सपने मेरे हमराज़।
टूट जाएगी वो तिलस्मी डोर हमारी, जो बांधे हुए थी तेरे-मेरे जस्बात |1|
एक दिन जब बिखर जाएगा मेरा वो ख्वाब, छूट जाएगा मेरा हर दिलशाज़ |
छोड़नी पड़ेगी सुनहरे सपनों की वो नींद, सामना होगा हक़ीक़त से जो उस रात |2|
एक दिन जब तन्हा कहीं भीड़ में, मिलने की कोशिश करूँगा अपने आप से |
शायद कुछ अंजान साए उस भीड़ में, चुराने की कोशिश करेंगे मुझे अपने आप से |3|
एक दिन जब ये सर्द हवा, लेकर आएगी तेरा एहसास जिंदगी के मुहाने से |
महसूस कर लूंगा तेरी तपिश में, अपनी छूटती साँसों के सिरहाने से |4|
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- TUSHAR TURKAR