ये कहानी है तूफानों से लड़ते एक दिए की,
जो दास्ताँ बन गई उसके सब किए की |


यूँ तो वो एक छोटा सा दिया था,
पर अपने जिगर में शोला सा लिए था |


कुछ छोटे झोकों से तो वो पहले भी लड़ा था,
पर किसी तूफाँ से वो पहले कभी न भिड़ा था |


जो जल रहा था अपने ही आंशुओं को जलाकर,
अब डगमगा रहा था तूफाँ की आहट पाकर |


कुछ भडक़कर , कुछ लड़कर, थक गया था वो जल जल कर |
शायद ये वो पल था, जो हर किसी का कल था |


आखिर में दिया पूरा जलकर, मुरझा ही गया काफी डटकर |
ये वो अंत है जिसे, हर किसी को पाना है,
बस फर्क ये होगा, की अंत दिए का होगा या आम किसी जिए का |

हर किसी की फितरत नहीं होती तूफानों से टकराने की,
हँसते हुए मरने की, और कुछ करके फ़ना हो जाने की ||

Sign In to know Author