पेश है सच झूठ और झूठ सच बनकर
फ़रेबी दुनिया है यार मेरे तो चलना थोड़ा बचकर ....
****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए.....
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- DHAKKANIYA SHILPI