अलाव जला दो
यह इंसान ठंडा पड़ रहा है,
कह रहा है कि बिना हवा के ही कांप रहा है,
जैसे ठंड इसकी देह को नहीं,
इसकी रूह को लगी हो,
शरीर तो ढक कर हो जाएगा गरम,
रूह के लबादे लाएँ कैसे
अलाव जला दो
यह इंसान रो रहा है,
कह रहा है कि कुछ महसूस नही़ं हो रहा है,
जैसे बदन होता है सुन्न,
इसका ह्रदय बेसुध हो रहा है,
अब हाथ सुन्न हो तो रगड़ लें,
ये शुष्क जज्बात जगाए कैसे
अलाव जला दो
यह इंसान तड़प रहा है,
कह रहा है कि भीतर से रह रह के दर्द उठता हैै,
जैसे कोई कविता सी रह गई हो,
इसकी कलम से निकलने को,
जिनके लिए कोई लफ़्ज नहीं,
वो दर्द निकले तो निकले कैसे
कोई अलाव जला दो
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- PERCY KINGDAWN