आज तुम्हारी गलियों में 
काफिला ले के आऊंगा मैं,

 

बात नहीं करूँगा तुमसे;
मैं भसड़ मचाऊंगा ।

 

चलेंगे डंडे, थप्पड़, पत्थर;
राम नाम पे लड़ाउंगा मैं,

 

आग लगेगी घर-घर में अब
ऐसी भसड़ मचाऊंगा ॥

 

मेरा दल है, मेरा शासन,
मेरा देश है हिंदूस्तान; 

 

बाकी सब को बाहर भगाओ 
ईसाई, सीख या मुस्लमान ।

 

विकास के सपने दिखा दिखा के,
मैं लूट-पाट मचाऊंगा;

 

इज्जत, पैसा सब लुटेगा
जब मैं भसड़ मचाऊंगा ॥

 

पुलिस है मेरी, सेना भी;
घर में घुस के मारूँगा मैं;

 

आवाज़ तुम्हारी दबा दबा के,
टीवी पे भसड़ मचाऊंगा ।

 

देशद्रोही कहूंगा तुमको
और पाकिस्तान भिजवाऊंगा;  

 

तुम थक जाओगे लड़ते लड़ते,
मैं फिर भी भसड़ मचाऊंगा ॥

 

लूले लंगड़े हो जाओगे,
इतना तुम्हे पिटवाउंगा;

 

लिखना-पढ़ना बंद होगा सब, 
ऐसा पाठ पढ़ाऊंगा ।

 

स्कूल, कॉलेज, विश्व-विद्यालय;
सब पे ताले लगवाऊंगा,

 

फिर जब तुम जाहिल बन जाओगे,
मैं खुल कर भसड़ मचाऊंगा ॥
 

 

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