रवायत ए अकीदत में नादान बने रहता हूँ
इतनी सी ज़िद है की इंसान बने रहता हूँ
दे दूँ गर इजाज़त तो आँखो से आ जाएँगे
जज़्बातों का मैं अपने दरबान बने रहता हूँ
Sign In
to know Author
- RANJEET SONI