नाजाने कितने ही अरमान जला दिएं हैं हमने फुलजड़ियों की तरह
और लोग फिर भी कहतें हैं -
ये बिना आतिशबाजी की कैसी दिवाली मनाते हो तुम ••••
****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..
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- DHAKKANIYA SHILPI