बात विद्यापति समारोह के विरोध का नहीं है | बात है कि जिन लोगों को इस समाज ने आगे बढ़ाया, समाज के बल पर उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया, पैसे कमाए, अच्छे पोस्ट पर पहुँचे, वो लोग मिथिला के प्रति अपने कर्तव्य को विद्यापति समारोह मना कर पूर्ण मान लेते हैं | हम इसका विरोध कर रहें हैं और आज तक यही होता आया है | विद्यापति समारोह में अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, व्यापारी, बैंकर से लेकर और बहुत से बुद्धिजीवी भाग लेते आयें हैं | सारे लोग मिल कर गेट-टूगेदर कर फिर अगले एक साल मिथिला को भूल जातें हैं |
हम अपने श्रेष्ठ जन जो विद्यापति समारोह में भाग लेते हैं उस से बस यह प्रश्न पूछना चाहते हैं कि क्या यह उनका नैतिक दायित्व नहीं बनता है कि मिथिला के विकास की बात करें ? क्या उनका यह नैतिकता दायित्व नहीं बनता है कि जिस समाज के बल पर आगे बढ़े हैं, उस समाज की कड़वी सच्चाई जैसे भुखमरी, पलायन, कुपोषण, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार पर बात करें ? हम जानते हैं, जो भी हमारे श्रेष्ठजन विद्यापति समारोह में आते हैं, उनके दिल में मिथिला के प्रति कुछ न कुछ जरूर होता है | जरूरत इस बात की है कि वह उर्जा बस सांस्कृतिक समारोह में ही खत्म होकर नहीं रहे, अपितु वह विकास में भी लगे ताकि लाखों-करोड़ों लोगों को इसका फायदा पहुंच सके | इस सच्चाई से हम मुहं नहीं मोर सकते कि जिस विद्यापति के नाम पर पूरे देश में विद्यापति समारोह मनाया जाता उनके गांव में आज भी कच्ची सड़क है, बिजली ढंग से नहीं रहती, उस गांव में आज भी पलायन होता है, उस पूरे क्षेत्र में भुखमरी का आलम है, भ्रष्टाचार है, पलायन घर घर की कहानी बन गई है, तो फिर हम नौजवानों को सोचना पड़ेगा ही कि विद्यापति समारोह से हमें क्या फायदा होता है | हम बस ये कहना चाहते हैं कि वक्त के साथ हमें विद्यापति समारोह में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा |
हमरा कहना है कि विद्यापति समारोह हो, लेकिन उसमें कुछ देर के लिए ही सही विकास की भी बात हो, विद्यापति समारोह के साथ-साथ विकास का एजेंडा भी सामान तोर पर चलनी चाहिए और अगर विकास का एजेंडा भी समान तोर पर चलेगा तो हमें उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है कि हमारे समाज के ये श्रेष्ठजन मिथिला की तकदीर को बदलने में अपनी भूमिका अच्छे से निभा सकते हैं | अगर विद्यापति समारोह में आने वाले लोग थोड़ी सी भी ऊर्जा विकास के मुद्दे पर लगायें, विकास पर चर्चा करें और सरकार पर दबाव बनाए, नौजवानों के साथ काम करें तो यह जरुर एक दिन मिथिला को विकसित बनाने की जो हमारी परिकल्पना है, उस को जमीन पर उतार देगी | मिथिला के नौजवानों कि ये पुकार हैं, और हमारे श्रेष्ठजनों का नैतिक दायित्व भी बनता है कि इन मुद्दों पर बात करें, विचार करें और करोड़ों मैथिल के उत्थान के बारे में सोचें | वक्त की मांग है कि समारोह मनाने के तरीके को थोड़ा सा बदलाव लाया जाए ताकि मिथिला के विकास पर हमारा फोकस हो और जो भी व्यक्ति विद्यापति समारोह को सांस्कृतिक समारोह मान कर चलते हैं, उनके दिलों दिमाग में भी मिथिला के विकास की कल्पना को संवारा जा सके ताकी हमारा मिथिला आने वाले समय में समृद्ध और विकसित बने |