NRB(None residential Bihari) हैं !  दिल्ली-बॉम्बे  से सोच कर ये चले थे | माँ बाप का ख्याल पिछले एक महिना से दिलो दिमाग मे छाया हुआ था | पत्नी को भी Convince कर लिया था | सूटकेस के एक कोना में 5000 रूपया अलग से संभाल कर रख दिया गया था | माँ की ममता, बाबूजी का प्यार दिल में हिलोरे मार रहा था | तो इस बार पुरी तैयारी से उसका क़र्ज़ उतारने, माँ बाप का लाड़ला गाँव आया था | चौखट पर कदम रखते ही भाव विभोर होकर सबसे मेल मिलाप हुआ !

 

लेकिन घंटे भी नहीं बिते और दिमागी प्रेम उतरने लगा | भाई-भौजाई, जेठानी-देवरानी की उलझन में माँ बाप पीछे छूट चुकें थे | Competition का जमाना है ! तो फिर शुरु हो गया Middle Class वाला खेल | सूटकेस का 5000 टुकुर-टुकुर इंतजार कर रहा था लेकिन उसे अभी तक काल कोठरी से निकलने का मौका भी नहीं मिला था | रात घिरी और पत्नी का संवाद सुन के 2500 रूपया भी सिहर गया था | क्योंकि अब बस 2500 रुपये ही देने की बाते हो रही थी | सुबह फिर जेठानी-देवरानी का Competition चालू हो चूका था ! और रात आते आते 4000 रूपया सिसकियाँ बहाने लगा था चुकीं अब 1000 देने की बात अटल हो गयी थी |

 

अब लौटने की बारी आई | NRB(Non residential Bihari ) जेठानी को (Residential Bihari) छोटी देवरानी की कुछ हरकते नागवार गुजरी | माँ बाबूजी उस ऊँच-निच को सँभालने में लगे रहे | NRB की प्रेम फुर हो चुकी थी | 1000 रूपया निकलने को छटपटा रहा था | लेकिन ये क्या ? सूटकेस Lock ! मचल कर रह गया 1000 रूपया और बचे 4000 रूपया उसे मानो चिढाने लगा ! गेट पर टैम्पू लगी | जल्दी-जल्दी पैर छुये और विदा हो लिये | इस बार भी माँ बाबूजी ताकते रह गये | 5000 रूपया भी उस अँधेरी सूटकेस में पड़ा अपनी किस्मत पर रोता रहा !

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