एक यह ज़िद भी तो "एक सी" है तुझमें और मुझमें
कि ----
हमारे इंतज़ार का आलम कुछ यूँ है यारों
ना वो पलटकर देख पाये
और ना ही हम उनके जाते हुए रास्ते से अपनी नज़रे हटा पाये
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- DHAKKANIYA SHILPI