वो कहतें थे,
अाज ७/७ है हम
और फिर हुअा कुछ यूँ -----
कि ऐसे उलझे वो इन तारीको के फेर में
अाज यह ७/७ होकर भी साथ नही है हम ....
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- DHAKKANIYA SHILPI