अपना गाँव
न कोई प्लानिंग में कमी थी, न समर्थन की कमी थी, सरकारी कार्यालय जहाँ से काम करवाना था वो भी नजदीक ही था, साथ काम करने वाले युवाओं की पूरी फौज थी, पुरे गाँव का जबस्दस्त समर्थन भी साथ था और लोगों को आने वाले पंचायत चुनाव में इसका खुला फायदा दिख रहा था | लेकिन कमी बस एक थी | “ जो लोग हमारे साथ काम कर रहें थे उनके नेताओं का विश्वास मुझ पर नहीं था “ | उनके मन में कहीं न कहीं ये बात घर कर गयी थी कि मैं इस नाम पर मोटा पैसा तो नहीं बनाने के प्लान में हूँ | मेरे पीछे उनकी आपसी बैठक में इन मुद्दों पर खूब चर्चायें होती थी | मैं सब कुछ जानते समझते हुए भी आखें बंद कर काम किये जा रहा था | लेकिन जब विश्वास के कमी की बात हो तो विफलता आपके सर चूमेंगी ही,” चुकीं मुझे पता था की विश्वास जमने में समय लगता है, तो मैं कितना भी इन्हें विश्वास दिलाऊँ इनका विश्वास मुझ नहीं जमेगा, मैंने एक रत्ती भर कोशिश नहीं की “| हमें हमारे मेहनत का अंजाम पता था | कम्युनिकेशन गैप थोड़ा सा था और वो समय के साथ बढ़ता गया, फिर भी हम लगें रहें और पूर्ण रूप से विफल हो गयें | और उसका एक मात्र कारन था कि साथ वालें लोगों का आप पर विश्वास का न होना |
ब्लाक पाटी, जिला बरवानी, मध्यपर्देश
“ मुझे भी लगता था कि मैंने कर दिया | मेरा मुहीम का महिना होने को भी नहीं हुआ था और हॉस्पिटल, स्कूल, ब्लाक के कर्मचारी समय पर आने लगें | जब भी ऑफिस के समय वाली बस में बैठता तो सरकारी कर्मचारी मुझे घुड़ कर देखते रहते थे, जैसे की मैं उनका सबसे बड़ा दुश्मन हूँ | और मन ही मन काफी खुश होता था कि चलो इन सरकारी करमचारियों को समय पर आना आखिर मैंने सीखा ही दिया | लेकिन आज अपनी उसे सतही सोच पर हसीं आती है “ वो मैंने नहीं सिखाया था न उसमें मेरी कोई भूमिका थी | भूमिका उस संगठन की थी जिसने उस इलाके में पिछले 25 साल से काम कर अपनी एक पहचान बनाई थी | और मैंने बस उस विश्वास को प्रगाढ़ करने का काम किया था |
अब प्रशन ये था कि हमने यही सब काम तो देश में बहुत जगह जा कर किया | इसी तरीके से किया और हाँ कभी इतना मेहनत नहीं करना पड़ा फिर भी सफलता मिली और बहुत ही आसानी से | ये तो बस एक स्कूल को सुधारना था, बहुत ही छोटी सी बात थी | और उसका एक मात्र कारण था कि और जगह हम किसी के विश्वासपात्र बन कर जातें थे | चाहे वो किसी जनसंगठन की बात हो, संस्था की बात हो और किस व्यक्क्ति विशेष की बात हो | लोगों को उन पर विश्वास होता था तो हम भी भी विश्वास के पात्र बन जातें और हमारे लिये काम आसान हो जाता था और लोगों की समस्या भी आसानी से हल हो जाया करती | “ तो हमें इसी विश्वास की बात को करना है, जब तक हम पर जनता का विश्वास नहीं जमेगा हम कभी भी अपने कामों में सफल नहीं होंगे “ चाहे हम कितना भी मेहनत कर लें |