मौसम बेवक्त ही बरसेंगे
नैन दरश को तरसेंगे
मौन जुबां बस रह जायेगा
जाती हो तो जाओ ...
स्वप्निल आँखें सुने होंगे
जिवन किसलय मुर्झायेंगे
शबनम को तृण तरसेगा
जाती हो तो जाओ ...
खाली करवट रातें होगी
बेनूर सिलवट सौगातें होगी
बाती संग दिल भी जलेगा
जाती हो तो जाओ ...
© नीतीश कर्ण
(लेखक नीतीश कर्ण के अधीन सर्वाधिकार सुरक्षित)
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- NITISH KARNA