देख खुदा, आज ये इंसान
दौलत के नशे में चूर है
इस दौलत की खातिर वो
इंसानियत से दूर है
रहम करना तो जैसे
खो गया आदत से है
इंसानों की इंसानियत तो बस
अब दौलत की इबादत में है
दिल तो पत्थर हो गया
ज़ेहन भी मजबूर है
ऐसी ज़िन्दगी जीना भी
बन गया दस्तूर है
प्यार के आवाज़ का तो
मिट गया है नामोनिशान
बस बच गए हैं खाली ये
दौलत-ओ -शोहरत के अरमान
कैसी ये मोहब्बत दौलत से
कि हर कोई मगरूर है
ये कैसी मोहब्बत दौलत की
जो बन गई नासूर है
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Comments (3 so far )
AASHIRWAD NUNIHAR
Fastastic work
December 14th, 2012
Author
Thanks....: )
December 14th, 2012