अभी पिछले दिनों ऑफिस के काम से दिल्ली जाना हुआ. लौटते वक्त मुझे शाहदरा से एअरपोर्ट जाना था. मैंने ओला कैब बुक की. एप्लीकेशन में एक नया फीचर था कि आप शेयरिंग में कैब बुक कर सकते हैं. पैसे की काफी बचत हो रही थी तो मैंने शेयरिंग में कैब बुक की. कुल बिल था 202 रुपये. खैर एसएमएस से गाडी और ड्राईवर की डिटेल्स आ गए और थोड़ी देर बाद गाडी भी आ गयी.
मेरा एक शौक है मैं जब भी टैक्सी या ऑटो में सफ़र करता हूँ तो मैं ड्राईवर से बात जरूर करता हूँ और उससे ये जानने की कोशिश करता हूँ कि उसके आसपास क्या चल रहा है, वो कितना जागरूक है और सम-सामायिक मुद्दों पर उसके विचार क्या हैं.
“तो भाई कैसी चल रही है तुम्हारी दिल्ली सरकार?”
“ठीक है साहब”
“केजरीवाल जी का काम कैसा लगता है तुम्हे?”
“सर हमें तो अच्छा ही लगेगा, बिजली पानी पर छूट जो मिल रही है”
“और भ्रष्टाचार कम हुआ?”
“सर ऐसा तो कुछ ख़ास नहीं लगता”
“लेकिन उन्होंने तो वादा किया था कि भ्रष्टाचार कम कर देंगे”
“साहब सब राजनीति है, वो भी अब पक्के नेता हो गए हैं”
“और मोदी जी के बारे में क्या विचार है”
“अच्छे आदमी हैं साहब, बढ़िया काम कर रहें हैं”
इस समय हम आईटीओ से पास से गुजर रहें थे. तभी ओला कैब के एप्लीकेशन पर एक मैसेज पॉपअप हुआ कि “welcome your co-passenger ms……….”
साथ ही ड्राईवर को भी मैसेज आया कि उसे मंडी हाउस से दूसरी सवारी को लेना है. बायी ओर से धूप आने के कारण मैं गाडी में दायी ओर बैठा हुया था. ड्राईवर ने मुझ से रिक्वेस्ट की कि मैं बायी ओर बैठ जाऊँ क्योंकि आने वाली महिला है ताकि उसे तकलीफ ना हो. मैं बायी ओर सरक गया.
मंडी हाउस पहुँचने पर मोहतरमा वहां नहीं थी. ड्राईवर ने फोन किया तब वो तीन-चार मिनट बाद आयी. कोई 25-30 वर्ष के बीच की कोई नव-यौवना थी. सामान्य रंग-रूप, नैन-नक्श, पूरे व्यक्तित्व में महानगर की छाप, जींस और टी शर्ट, आँखों पर धूप का चश्मा, मोबाइल में व्यस्त. मैंने उसे हेल्लो बोला उसने सामान्य सा उत्तर दिया.
ड्राईवर ने कहा कि उसकी गाडी में सीएनजी बहुत कम है और गाडी आगे नहीं जा पायेगी इस लिए उसे गैस लेनी पड़ेगी. उसने हम दोनों से गैस लेने की परमिशन माँगी. मैंने हाँ कर दी क्योंकि मेरे पास बहुत टाइम था. लड़की ने उसका विरोध किया.
“नहीं भैय्या आपको पहले से देखना चाहिए था. सवारी बैठा कर आप गैस नहीं ले सकते”
“मैडम गाडी आगे जा ही नहीं पायेगी. आगे पंप भी नहीं है. बस दो मिनट लगेंगे”
“कहाँ दो मिनट लगेंगे? मुझे लेट हो रहा है.”
तब तक फिलिंग स्टेशन आ गया था और ड्राईवर ने गाडी उस ओर मोड़ दी थी.
“देखो तीन गाडी हमसे आगे हैं. कितना टाइम वेस्ट होगा. आपको पहले से भरवा के रखना चाहिए था”
“मैडम बस पांच मिनट में हो जाएगा”
हम दोनों गाडी से नीचे उतर गए, ड्राईवर ने गैस ली और हमारे बैठने के बाद गाडी आगे चली.
थोड़ी देर में जब वो थोडा सामान्य हो गई तो मैंने अपना सर्वे शुरू किया.
“आपको केजरीवाल जी कैसे लगते हैं?
He is really a great guy. He has got the guts.
ऐसा क्या किया उन्होंने?
U see anything. His odd-even was an innovative idea.
और कुछ?
I mean he is not afraid of anything. He is always ready to pack up with his bag and baggage.
जेएनयू के मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं?
Actually I do not know much about this issue. I did not follow it much.
आपको मोदीजी कैसे लगते हैं.
Let me tell you I am not a Modi fan at all. I do not like him as such.
ठीक है. उनका काम कैसा लगा अब तक?
There is a sense of insecurity since this government came into power. There is no freedom of speech.
हाँ, न्यूज़ वगैरहा में तो आता रहता है, लेकिन आपके साथ कुछ हुया हो? आपको ऐसा कैसे लगता है.
It did not happen with me but it happened with one of my friend in Gurgaon. She told me.
क्या हुया था?
In fact it was not happened with her but it was happened in front of her.
एग्जेक्टली हुआ क्या था?
A truck full of cows was caught by the local people and driver was beaten like anything.
ये आपकी सहेली के सामने हुआ? उसने खुद देखा था.
I am not sure but she told me like this only.
ओके
उसका स्टॉप आ चुका था. उसने ड्राईवर को ट्रिप एंड करने के लिए कहा और वो चाणक्यपुरी के न्याय मार्ग पर डच स्कूल (DSND) के सामने उतर गयी. वो मोबाइल किसी से बात कर रही थी “no, I do not need his help, I can very well hang out alone…..”
मैंने ड्राईवर से पूछा उसने पैसे क्यों नहीं दिए तो ड्राईवर ने बताया सर उसका ओला में अकाउंट है, उससे पैसे कट जायेंगे और मुझे कम्पनी से मिलेंगे.
मैं ये सोच रहा था कि जब उसे अच्छे से हिंदी आती थी, क्योंकि उसने मेरे सामने ड्राईवर से खूब अच्छी हिंदी में बात की थी, तो वो मेरे प्रश्नों के उत्तर इंग्लिश में क्यों दे रही थी? क्या अंग्रेजी बोलने से बात का वजन बढ़ जाता है? इंग्लिश में कही हुयी हर बात सच होती हैं? आदमी ज्ञानी हो जाता है? क्या मात्र एक भाषा जानना ही बुद्धिजीवी होने का पुख्ता प्रमाण है?
कम से कम हिन्दुस्तान में तो आजकल ऐसा ही फैशन है.

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