It's high time. Agriculture budget in Bihar should be increased around ten thousand crore. The dying agriculture sector, depleting income of the farmers, and bankruptcy of the Rural economy is the recent trend all across the State specially in the Mithila region. The mass migration has increased the wage rate of the laborers in the rural belt forcing farmers to leave the Agriculture sector in a jeopardy, drying out the remaining investment.
अब हम किस बात का इंतजार कर रहें हैं | चीनी उद्योग ने दम तोड़ दिया, जूट के किसान बर्बाद हो गए और अब क्या चाहते हैं कि आम, लीची वाले किसान भी दिवालिया हो जाएँ | पिछले पांच साल से बारिश नहीं हुई है | पहले बाढ़ आया करता था और अब लोग पानी के लिए तरसते हैं | आम, लीची तक का पैदावार आधा से भी कम हो गया है | धान की अच्छी फसल देखने के लिए गाँव में किसान तड़प रहें हैं | पानी के कमी के चलते गेहूं का पैदावार दिनोदिन कम होता जा रहा है |
कृषि और किसानी चौपट होने के कगार पर पहुच गयी है | आज के तारीख में केंद्र और राज्य सरकार के आंकड़े बताते हैं कि बिहार की 89% आबादी गाँव में रहती है और 60% काम करने वाले लोगों की रोजी रोटी खेती से ही चलती है | इस स्थिती को देख कर अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि बिहार के गाँवों का हालात दिनोंदिन बदतर होता जा रहा है |
बजट आने वाला है | पिछले साल बिहार सरकार ने 4 हजार करोड़ का प्रावधान किसानी खेती के लिए किया था | उसे बढ़ा कर 10 हजार करोड़ करने की जरुरत है | नहीं तो बिहार के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जो ठहराव आया है वो पूरे राज्य के अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा |
हमारे सामने उदाहरण के लिए पंजाब है | इस राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था ने कृषि क्षेत्र में आयी मजबूती के करण ही करवट ली और आज के दौर में मध्यप्रदेश का कृषि विकास दर किसी से छुपा नहीं है | मध्य भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र में आयी क्रांति के इस दौर ने मध्यप्रदेश के गाँवों में गरीबी को काफी हद तक कम किया है | और इस बात पर बिहार सरकार को इस साल के बजट में धयान देने की जरुरत है |