लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है;
मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है;
गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर;
लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है!
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- ARAK VATSA