कभी येसे मौका नहीं मिलेगा | समर्थन कीजिये OOD - EVEN फार्मूला का | २० लाख कार है दिल्ली शहर में और इस लॉबी से टकराना आसन नहीं है | ये एक मौका है कि इन सूट पैंट पहन कार में चलने वाले लोगों को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का महत्व को समझया जाये | हम जैसे गरीब लोग जो रोज बस और मेट्रो में धक्के खाते हुए सफ़र करते हैं वो इस बार अगर न्यूज़ चैनल और बिकाऊ मीडिया के चक्कर में आ गए तो एक सुनहरा मौका गबां देंगें |
कहने का मतलब है कि हमारे भविष्य का निर्धारण करने वाले लोग आज सडको पे खड़े बसों का इंतजार कर रहें हैं | जब इन्हें हम जैसे लोगो को रोज होने वाली परेशानी का पता चलेगा तब वो सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को अच्छा बनने की बात करेंगे | और रोज रोड पर चलने वाले लोगो के लिए यह एक मौका होगा की अपनी दुख दर्द में इन अमीरों को शामिल कर अपने लिए एक समाधान निकालने का |
" उदाहरण के तौर पर एक छोटी से कहानी "
एक दिन की बात है | हम महगाई पर बात कर रहें थे | एक साथी ने हमें टोक दिया और पूछा की क्या आपने दाल ख़रीदा है | चुकीं मैं हॉस्टल में रहता था और खाना मुझे मेस में मिल जाया करता तो कभी जरुरत नहीं पड़ी | उन्होनें मुझे बताया की आप दाल के महगाई पर उस दिन बात करना जिस दिन आप खुद दुकान जा कर दाल खरीद कर लायेंगे | जब जेब से २ सौ रूपया निकल कर देना पड़ेगा तब कुछ सचाई का ऐहसास होगा | यही बात पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर लागु होता है | सारे कार में चलने वाले को पता है कि उसमें काफी दिक्कत होती है लेकिन जब तक उन्हें उस में सफ़र न करना पड़े तब तक इन्हें पता नहीं चलेगा कि असली सचाई क्या है |
जिस तरह से इन्हें अपना कार चलाने के लिए अच्छे सड़क की जरुरत होती है और उसके लिए वो सरकार पर अपना पॉवर पैसा और रुतबा का इस्तेमाल कर सड़क के लिए अपना बजट का आवंटन करवा लेते हैं, उसी तरह अगर हम इसे दुसरे नजरीये से देखे तो जब इन हाई प्रोफाइल लोगो को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चढ़ना परेगा तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालात बदलते देर नहीं लगेगी | सरकार को ये मजबूर कर देंगे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए धन का आवंटन करना परेगा तो व्यवस्था को बदलने में देर नहीं लगेगा | और आम लोगो के लिए ये एक वरदान साबित होगा |