'तुम न! ऐसी शरारतें मत किया करो'
'क्यों?'
'क्यों,क्या यार! साफ पकड़े जाते हो'

'सही कहा जानेमन'

'अब कुसूर भी तो बता दो'

'कुसूर बताउगी तो सजा भी मिल सकती हैं'
'मंजूर हैं, मेरे खूदा'
'तो फिर बाईक रोको'
'क्यो?'
'यही तो कुसूर हैं'
'बाइक की क्या कुसूर हो सकती हैं'

'कुसुर बाइक का थोड़े ही हैं,उसपे बैठे हिरो की हैं'
'अच्छा'

'तेजी में चलाना और वक्त बे वक्त ब्रेक ऐसे लेना कि मैं उससे लिपट जाऊँ'

'तो फिर सजा क्या हैं?'

'सजा ! .................. यही की आओ एक दूसरे में सिमट जाते हैं'
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