कहते हैं कि मोहब्बत अगर जुनून बन जाये,
किसी की चाहत जो दीवानगी बन जाये,
किसी की आशिकी उसका पागलपन बन जाये,
तो हर जर्रा कुदरत का भीे उसके दिल की सदाओं से थर्राता है,
भरे जो आहें तो लहू बह निकले पर्वत के चट्टानों से और तूफान भी चींखों के ही नगमे गाता है,
मगर कहीं दूर कोई आज भी अकेले में चुपके से रोता है,
आईने को अपने दिल के घायल जज्बात सुनाता है,
कागज के पन्नों कोे वो हर रोज अपनी चाहत की दास्ताँ कलम से सुनाता है,
पर लेके मुस्कान चेहरे पे झूठ का अपने दर्द को खुद से और दुनिया से छुपाता है।
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- JITENDRA SINGH