प्रकृति की रचनाओं में अनेक अदभूत रचनाएँ हैं।यूँ तो प्रकृति की प्रत्येक रचना अचंभित करती हैं;प्रकृति की इन्हीं अचंभित करने वाली अनेक रचनाओं में से एक अदभूत अनुपम कृति ने मुझे एक दिन विस्मित कर दिया।उसे देखते ही मैंने अपना सुध-बुध खो दिया;लगा उसे देखता रहूँ।
पूरे दिन की ऊहापोह से मैं परेशान था और ऐसे में शाम को इत्तेफाक से नजदीक के बगीचे में घूमने का ख्याल आया।परेशान तो था ही सो घूमने का ख्याल मन पर तुरन्त हावी हो गया और मैं बगीचे की ओर निकल पड़ा।अगले ही कुछ पलो में मैं बगीचे में था।बगीचे में चारो ओर लोगों की चहल-कदमी थी।सभी सुकून भाव से कोई ना कोई गतिविधि में सलग्न थे।सूर्य लम्बी दूरी तय कर अपनी मंजिल के करीब पहुँच चुका था,उसकी मध्यम रोशनी बगीचे मे बिखरी थी और सांयकालिन सूर्य की किरणें प्रकृति की सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थीं;बगीचे के फूलों में सूर्य की रोशनी से अदभूत आकर्षण था।मैं चारो ओर टहलता रहा और फिर एक आरामदेह बेंच पर आकर बैठ गया।मैं आसपास देखता रहा;मेरी नजर एक अजनबी से दूसरे अजनबी पर तुरंत हस्तांतरित हो जाती।इतने में वह आई और मेरे पास आकर बैठ गई।मैं आसपास देखने की ही कोशिश करता रहा परन्तु उसका आना मुझे विचलित कर गया और मैं उसकी ओर देखने लगा।उसकी सुन्दरता आकर्षक व मनमोहक थी जिसने मुझे मानो उससे बान्ध दिया हो।मैं अपलक उसे देखता रहा;उसकी सुन्दरता मेरी आँखों को भा गई थीं जो अब पलक झपकने से भी कतराता।उसकी आँखें व रंग विरंगी वस्त्रों से सौंदर्य की आभा झलक रही थीं जिसे मैं अपनी आँखों में कैद कर लेना चाहता था।ऐसा लग रहा था कि वह भी अपलक मेरी ओर देख रही हैं;उसका ऐसे देखना मेरे दिल को ताड़-ताड़ कर रही थीं।मिनटों हम एक-दूसरे को देखते रहे।शाम ढ़लती जा रही थीं,रात्रि ने अपनी चादर फैलाना शुरू कर दिया था;वह और मैं हमदोनो के बीच अंधेरा ने अपनी मैजुदगी दर्ज कर लिया था और एक फासला ने जगह बना ली थीं।जी चाहता था कि वहीं बैठा रहूँ और उसकी दिदार करता रहूँ परन्तु शाम के धूंधलापन ने हम दोनों को अपनी-अपनी पड़ाव की ओर मुड़ने को मजबूर कर दिया था।मैं इस ऊहापोह में था कि पहले वह उठेगी पर वह अपलक तिरछी नजरों से मेरी ओर देखती रही।जाने और न जाने के उलझन ने मन में हलचल बढ़ा दी थीं !! मैं कभी ना खत्म होने वाली रास्ते की ओर मुड़ गया परन्तु वह बैठी रही,मानो उसे अंधेरा छा जाने की खबर ही ना हो।मेरे पाँव आगे बढ़ चुके थे........।
प्रकृति की वह सुन्दर कृति एक नन्ही सी तितली थीं।।
http://chaltmusafir.blogspot.in/

Tags: Short Story

Sign In to know Author