हिन्दुस्तान में एक ही तो चीज है जो फ्री में मिलती है, वो है राय. तो मैं भी पीछे क्यूं रहूँ, दे ही डालूँ.
मेरी राय दिल्ली सरकार को है ट्रैफिक की समस्या से निपटने के बारे में. अगर मैं कोई कंसलटेंट होता तो ये ही राय काफी महंगी बेचता. खैर कोई बात नहीं ज्यादातर हिन्दुस्तानियों की तरह आज फ्री में दे रहा हूँ.
फैक्ट्रियो को दिल्ली से हटाना है, थर्मल पॉवर प्लांट बन्द करने हैं, गाडियों का पीयूसी होना चाहिए आदि आदि सब को पता है. मैं बात करना चाहता हूँ दिल्ली की संस्कृति के बारे में, लोगो की सोच के बारे में, उनके दिखावे के बारे में. दिल्ली के लोगो की जीवन शैली में दिखावा नस-नस में भरा पडा है. आपके पास पैसा है तो भी आपको अंधाधुंध बिना जरूरत खर्च करके राष्ट्रीय सम्पदा को नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहिए.
दिल्ली की नब्बे प्रतिशत गाडियों में आपको अकेला ड्राईवर दिखाई देगा और उसके भी नब्बे प्रतिशत मामलो में वो ही गाडी का मालिक है. एक मशीन जो कि कम से कम पांच लोगो के लिए बनी है उसे सिर्फ एक आदमी प्रयोग कर रहा है. पांच लोगो की जगह सड़क पर एक आदमी ने घेर रखी है. जो प्रदूषण पांच से फैलता उसे एक ही आदमी फैला रहा है. जितना शोर पांच लोग करते उतना एक आदमी कर रहा है. जितने एक्सीडेंट पांच कर सकते थे उतने एक ही आदमी कर सकता है. मेरे विचार से एक गाडी में अकेले आदमी का चलना ऐसा ही है जैसे बिना जरूरत थिएटर बुक करके अकेले बैठ के फिल्म देखना. क्यों? क्यूंकि आपके पास पैसा है.
ये सही है कि दिल्ली में अपनी कार में चलने का एक बहुत बड़ा कारण अच्छे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ना होना है. लेकिन अकेले कार चलाने में कुछ ज्यादा पैसा होना, कुछ दिखावा और कुछ समाज के प्रति जिम्मेदारी का अभाव है. ऐसे में क्या किया जाना चाहिए:
1. पब्लिक ट्रांसपोर्ट की क्षमता बढाई जाए. बहुत सारे लोग मेट्रो में जाना चाहते हैं लेकिन पीक टाइम पर मेट्रो में बहुत ज्यादा भीड़ होती है, इसलिए नहीं जाते.
2. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सस्ता किया जाये ताकि खुद की गाडी की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाने में आदमी आदमी तो लालच आये. लेकिन ये तरीका मध्यम वर्ग पर ही प्रभावी होगा, उच्च वर्ग पर नहीं.
3. अकेले कार चलाने को हतोत्साहित किया जाए. ऐसा किसी टैक्स से भी किया जा सकता है और सामजिक आन्दोलन से भी.
4. लोगो को कार साझे में चलाने के लिए प्रेरित किया जाए. कार पुलिंग के ग्रुप बनाने के लिए आप किस नई वेबसाइट को लांच कर सकते हैं, जिसमे लोग अपने-अपने रूट पर दूसरे लोगो को ढूंढ सकते है और ग्रुप बना कर कार पूल कर सकते है.
5. लोग व्यक्तिगत रूप से भी अपनी कार पर स्टीकर लगा सकते है, जैसे कि “रोहिणी से लाजपतनगर” लुकिंग फॉर पार्टनर्स. हो सकता है आपकी बिल्डिंग में ही कोई सेम रूट पर जाने वाला व्यक्ति रहता हो.
6. जो अमीर है और ड्राईवर रखते है वो अगर दिल बड़ा करें तो अपने रूट का नाम कार पर लिख कर लोगो को मुफ्त लिफ्ट दे सकते हैं.
7. चार्टेड बसो का चलन तो पहले से ही दिल्ली में है इसे और बढ़ावा दिया जाए.
8. कंपनी या ऑफिस अपने कर्मचारियों को अकेले कार में आने के लिए मना करें और उनके लिए बसे चलाये.
9. एक बार अकेले कार ना चलाने की मुहिम शुरू हो गयी तो और बहुत सारे ओरिजिनल आइडियाज मिलेंगे.
मेरा सिर्फ इतना ही कहना है कि जहाँ एक ओर लाखो लोग बसों और मेट्रो की भीड़ में धक्के खा रहें है वहां आप पांच लोगो की जगह में अकेले बैठ कर, ठन्डा या गर्म ऐसी चला कर, गाना सुनते हुए मजे में जा रहें हैं, ये कानूनी भले ना हो लेकिन नैतिक अपराध है. मैं आपसे अपनी कार छोड़ कर भीड़ में धक्के खाने के लिए नहीं कह रहा हूँ लेकिन खाली पडी चार सीटो पर तो किसी को बैठ जाने दीजिये.
Extra Shots: अभी अभी ध्यान में आये कार पूलिंग के कुछ और फायदे :
एक तो आप बोर नहीं होंगे और सफ़र आराम से गप्प मारते हुए कटेगा. वैसे भी दिल्ली वालो को बोलने का शौक बहुत होता है.
दूसरे किसी से झगडा होने पर, जिसकी सम्भावना दिल्ली में हर गली हर मोड़ पर है, जब गाडी की चारो दरवाजे एक साथ खुलेंगे और चार लोग उतरेंगे तो सामने वाला अपने आप नीची आवाज में बात करेगा.
गाडी चलाते चलाते रास्ता पूछना थोडा मुश्किल होता है. ये काम साथ बैठा व्यक्ति आसानी से कर देगा.
अगर आप को स्मार्ट फोने के मैप से रास्ता पूछना है तो गाडी चलाते हुए ये करना बहुत ही मुश्किल है. साथ बैठा व्यक्ति आपके नेविगेटर का काम करेगा.
साथ बैठे व्यक्ति से आप अपना फोन अटेंड करवा सकते हैं, पानी या कोल्डड्रिंक या और कोई बोतल खुलवा सकते हैं, ऑडियो सिस्टम में गाना या ऍफ़एम रेडियो का स्टेशन चेंज करवा सकते हैं.
अगर आपके बस कुछ पल के लिए गाडी से उतर कर कुछ खरीदना है, विशेष रूप से दारु, तो खाली गाडी को बीच सड़क में छोड़ कर जाना काफी रिस्की है. आपके साथ वाला व्यक्ति ये काम आसानी से कर सकता है और आप गाडी का ध्यान रख सकते हैं.
तो हुआ ना कार पूलिंग फायदेमंद? तो कल से ही शुरू कीजिये.................