हर नया विचार, हर नया कदम, हर नयी शुरूवात के तरह यह भी विरोध को आमंत्रित कर ही आगे बढा | लडकियों द्वारा गावं के लाइब्रेरी को चलाना एक आश्रयजनक कदम था परन्तुं गावं वालो का साथ और विश्वास ने यह काम बहुत आसन कर दिया | स्वंतत्रता दिवस के अवसर पर लाइब्रेरी में झंडोतोलन और स्कूल के लडकियों की रैली ने गावं में समां बांध दिया | हर घर दस्तक कार्यक्रम और चंदा जुटाने का अभियान ने गाँव में लाइब्रेरी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे लोगो के दिलो में बसाया |
गाँव के लाइब्रेरी को लड़कियों के द्वारा चलाना एक क्रन्तिकारी कदम था | नवमी और दशमी के लडकियों के द्वारा लाइब्रेरी को सम्भालना और चलाना बहुतो के समझ के बहार की चीज थी परन्तु लोग देखो और इंतजार करने की स्थिति में थे | हम पांच लडकियों का कमिटी बना अपने मुहीम पर निकल चुके थे | चंदा से लेकर किताब तक खरीदने का अधिकार कमिटी के जिम्मे था और यह बात उनमें एक नया उत्साह, एक नयी उर्जा जगाने में काफी सफल रही और हम लाइब्रेरी से एक अपनापन जगाने में सफल हो गए थे और कुछ ही दिनों में मेंबर की संख्या सैकरो पार कर गयी |
अब फिर से हम समाज की बात करते हैं | लडकियों को घर के बहार ले कर आना, गावं के सडको पर लाइब्रेरी के काम से घूमना और सामाजिक रीती रिवाज को चैलेंज करना आसान बात नहीं था | आम लोगो के नजरिये में कोई बदलाव तो आया नहीं था और न हमने इन कदमो को उठाने से पहले गावं वालो की मीटिंग कर उन्हें विश्वास में लेने की कोशिश की थी तो हम भी काफी सोच समझ कर कदम रख रहे थे | लेकिन एक अनजाना सा "उत्साह" और उर्जा गावं के हवा में आपको महसूस हो रहा था | और इस उत्साह को बरकरार रखना एक चुनौती था जो हमें हर कदम पर महसूस हो रहा था |
फिर लाइब्रेरी और स्कूल के बारे में चर्चायें तो हर घर में चल ही चुकी थी तो गावं के महिलायों के नजर में एक नयापन देखने को मिलने लगा था | लोग-बाग थोरा खुल कर बात करने लगे थे और उनका समर्थन इन मुददा पर काफी था | लेकिन रुढीबाद से जकड़ा जिस समाज में हम रहते हैं वो लोगो को बोलने से रोकने का काम कर रहा था, और सामाजिक बंधन कुछ नया बदलाव के रस्ते में खरा पहरेदार की भातीं प्रतीत हो रहा था |
नेगटिव उर्जा भी अपने काम में पीछे नहीं हट रही थी | गावं के लोग अपना राय व्यकत करते हुए बताते थे कि लाइब्रेरी कितनी बार खुला, कितनी बार बंद हुआ और हम मुस्कुरा कर बात टाल जाते थे | बस अपने काम को करने की कोशिश में लगे रहते थे | हाँ ये बताना यहाँ नहीं भूलना चाहूँगा की ये मेरा गावं था, मेरा समाज था, जहाँ मैं पला-पढ़ा बड़ा हुआ तो उसी समाज में खड़ा हो कर बोलना आसन बात नहीं था | हमारा सारा ईतिहास, भूगोल यहाँ तोला जाता और हर उस मुश्किल का सामना करना पर रहा था जो किसी अनजाने इलाके में हमारे लिये कोई मायने नहीं रखता था | फिर भी उम्मीद से जाएदा लोगो का समर्थन मिला और बदलाव को एक्सेप्ट करने को लोगो में एक चाह जगाने में कामयाब रहा |
और जिस मॉडल पर हम काम करने की कोशिश कर रहे थे उसमें हमें काफी सफलता मिली | गाँव के लोगो में हम जिस चीज को ढूंढने के कोशिश कर रहे थे उसे हमने सफल तरीके से दुंढ लिया | बस जरुरत रह गयी लोगो को समझाने की, कि आपका काम आपको स्वंय आगे आ कर करना होगा, कोई दूसरा नहीं करेगा |