नयी सरकार बन गयी बिहार में |नए लोग , नए मंत्री , नए विधायक सब चुन कर आ गए | कितने दिग्गजों की जमानत जप्त हो गयी और कितने ही नए नए लोग हीरो बन कर उभरे | सत्ता पर नए लोगो का कब्जा हुआ और कुछ नया उल्लास सा जगा | कुछ दबे-कुचले अल्पसंख्यको की बात भी की गयी |कुछ चेहरों पर काफी दिनों बाद मुस्कराहट देखने को मिली और कुछ घरो में होली दिवाली भी मनाई गयी |
बात जब राजनीती की आ ही गयी तो हमारा मिथिलांचल भी क्यों पीछे रहता भला |शपथ ग्रहण समारोह ने एक नए आशा और उत्साह का संचार किया और लोगों में इस बात की ख़ुशी भी देखने को मिला | और हो भी क्यों नहीं | नई मंत्रीमंडल में मिथिला के कुछ लोगो को तरजीह दी गयी है | कुछ नए लोग मंत्री बनाये गए हैं और कुछ नयी उम्मीद जगी है | जनमानस में सोच बनी है कि अब मिथिला का विकास होगा और समृद्ध आएगी |
लेकिन इन सब में हम ये भुल जाते हैं कि सत्ता का चरित्र कभी नहीं बदलता | ये सदियों से येसे ही चलती आ रही है और आने वाले समय में भी कुछ खास बदलाव की उम्मीद नहीं दिखता | तो जब मिथिला जैसे अति पिछरे इलाके की विकास की बात होती है तो हमारी आखों में भी एक उम्मीद का किरण झिलमिलाने लगता है | हमारी भी इक्क्षा और आकंछा में पर लग जाता है और मन में उमंग छाने लगता है | एक समृद्ध मिथिला की झलक दिल के किसी कोने में हिलोरे मारने लगती है और भूख , कुपोषण से मुक्त अपना गावं, अपना समाज , की खावइश मन में आने लगती है |
हाँ इस बदलाव में हमेशा हम इस बात को भूल जाते हैं कि पिछले 60 सालो में हमने 15 बार इस बदलाव की आशा में खुशियां मानाई है | लड्डू बांटा और दिवाली भी मनाई लेकिन क्या बदला ? क्या बदलाव आया ? यही न की साल दर साल पलायन बढ़ता गया , खेती तबाह होती गयी , किसान मजदुर बनते गए और हम पुरे देश के लिये सस्ते मजदूर पैदा करने के अड्डे के तौर पर उभरते गये | हमारी संस्कृति , हमारा गावं , हमारा वैभव , सब लुट गया | साल दर साल आती बाढ और सुखार ने रही सही कसर हमारी अर्थव्यवस्था की ढीली कर रख दिया | हमारी पूरी व्यवस्था अपंगता की शिकार हो गयी | और हम अपनी आशा और आकांछा को दबा चल पड़े पलायन की राह पर |
फिर से प्रशन आता है की क्या पलायन रुकेगा ? क्या हमें अपने घर गावं में नौकरी रोजगार मिलेगा ? क्या हम अपने परिवार के साथ रह पाएंगे ? और हम इस प्रशन के जवाव को ढून्ढने की कोशिश करते रहते हैं | अपनी मजबूरियों को छुपाते हुए अपने अच्छे दिन की कल्पना करते हुए विकास और सम्पनता की राह देखते रहते हैं |
अब फिर नयी सरकार का मिथिलांचल से नाता देखते हैं | आपार बहुमत के साथ गंगा पार के लोगो ने नयी सरकार को सत्ता में एक स्थान दिया है | लोगो में एक नयी आशा जगी है | चाहे गंगा पर पुल की बात हो सड़क-बिजली-पानी की बात हो, सिचाई-शिक्षा-स्वास्थ की बात हो, हम काफी पिछरे हुए हैं यहाँ तक की अपने दक्ष्णि हिस्से से भी और शेष भारत की तो बात ही न करें | तो फिर एक बार देखते हैं इस उम्मीद से की इस बार मिथिला के साथ न्याय होगा | इस बार विकास की बहस में मिथिला को अपनी हिस्सेदारी मिलेगी और हम मिथिलांचल वासियों का कल्याण होगा |