बेजान जान मन चैन है खोया
मद्धम है स्पंद हृदय का
साँसों की सरगम होठों से
करती है विनय प्रणय का
आह्लादित कर देती मन को
कुछ जानी अंजानी बातें
रोमांचित कर देती तन को
सतरंगी सपने किसलय का
© नीतीश कर्ण
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- NITISH KARNA