अपनी आँखों से इक बार पिला दे साकी
इस दिवाने को भी मयकसी सिखा दे साकी
गिरता है तो गिर जाने दे दिल पर बिजली
अपने मुखड़े से तू चिलमन हटा ले साकी
झुलस रहा है मेरा दिल आतिशे गम में
आके तु मलहम लगा दे साकी
लोग कहते हैं थोड़ा उलझा हुँ मैं
अपने जुल्फ की तरह मुझको भी सुलझा दे साकी
छोड़ दूंगा पैमाने-पैमाने की आदत
ईक बार अपने आँखों से पिला दे साकी
दिल की हसरत पूरा कर दे मेरे जाने से पहले
सारा मयखाना अपने हाथों से पिला दे साकी
© नीतीश कर्ण
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- NITISH KARNA