जी तोड मेहनत कर किसान फसल उगाता है,
पर ए कैसी बिडम्बना है की वो भूखो रह जाता है..
अपने खून को वह पसीना बनाता है,
पर उसके बच्चे भूख से बिलबिलता है..
सूद के पैसे से करते हैं खेती,
फसल के पैसे से महाजन से मुक्त होते है..
फिर सालो भर मजदूरी कर के खाते हैं,
मौका पडने पर बच्चो से भी मजदूरी करवाते है..
एक तरफ कोई मेवे मिस्री खाते हैं,
पर इनकी मेहनत का सही मुआवजा देने से कतराते है..
देश के शासको को इसकी चिंता तो है नही,
वो सिर्फ वोट के लिये मरमरी करते है..
आह्ह ! हे भगवान, आप कब इन किसानो पर डालोगे अपनी नज़र,
बस तेरे ही आस मे तो ये जिये जाते है..
अमित सिंह
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