अपने वतन के खातिर
न किया ख़याल अपनी जान का
ऐ वतन वालों ,जला देना एक दिया
उस अनजाने शहीद के नाम का
हर मुश्किल की घडी में डेट रहे
रखा ख़याल बस वतन के सम्मान का
न होली, न दिवाली
न ख़याल ईद और रमजान का
बस ज़ेहन में सजे थे ख़याल
अपने वतन के शान का
ऐ वतन वालों,जला देना एक दिया
उस अनजाने शहीद के नाम का
वतन की खातिर छोड़ दिया सब कुछ
दबा दिया सर अपने हर अरमान का
औरों की खुशियों की खातिर
उपहार दिया अपने बलिदान का
ऐ वतन वालो,जला देना एक दिया
उस अनजाने शहीद के नाम का
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