तेरे घर की रौशन खातिर
बाती बन जल जाउं मैं
जो मिले खुशी मेरे जाने से
चिरनिंद्रा में सो जाउं मैं
इक आवारा हवा चले
जब तेरे बालों को सहलाए
कोई पागल हवा का झोंका
जब तेरा आँचल छु जाये
ना होकर भी होने का
तुझको एहसास दिलाउं मैं
जो मिले खुशी मेरे जाने से
चिरनिंद्रा में सो जाउं में
© नीतीश कर्ण
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- NITISH KARNA