सीने की आग से आँखों में जलन का इल्म होने लगा था , शायद आँखों के अंदर से कोई घुसपैठ की कोशिश में था , एक बार जब मैंने पलकों को भेजा देखने के लिए ,तो थोड़ी नमी सी लगी ....शायद ''पहली किश्त आंसुओं की '' आ चुकी थी !!! सीज़फायर का उलंघन हो चूका था और फिर .....
टप ..
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मेरे सब्र का बाँध कोशी प्रोजेक्ट जैसा निकला , बड़ी जल्दी टूट गया >> आंसुओं की बाढ़ में तुम्हारी यादें निकलने लगी , वो हर एक बूँद जो मेरे लबों के रास्ते बॉम्बे डाइंग के बिस्तर पे गिरा , ऐसा लगा की तुम फिर से मेरे पास हो ....बॉम्बे डाइंग आज शायद बॉम्बे लिविंग सा फील कर रहा था ... बिस्तर की रूहें भी खड़ी हो चुकी थी , शायद उसको भी पहली किश्त का इंतज़ार था ...

हम दोनों का प्यार बॉम्बे डाइंग के बिना अधूरा सा है , कितनी भी थकावट हो , इसका एक स्पर्श आज भी उन दिनों की याद दिला देता है , कभी चादर , कभी तकिया और कभी बिस्तर , जैसी जरुरत थी इसने साथ निभाया , काश वो भी बॉम्बे डाइंग जैसी होती .....काश !!!

तुमको नहीं लगता यू शुड चेंज दिस बेडशीट ?

हमेशा यही कहती थी , यू शुड चेंज दिस , यू शुड चेंज दैट ....

उसके यू में बस उसका आई था और मेरे आई में आज भी बस तुम ही हो |

कभी मौका मिलेगा तो आंसुओं को सुखा के उसमे निहित सोडियम(NA) को निकालने की कोशिस करूँगा , गर निकल गया तो एक बात बता दूँ , तुम्हारा दिया हुआ भूजा आज भी संभाल के रखा हुआ है , उसी में अपनी पहली किश्त का सोडियम मिला के तुमको याद करूँगा ...

अब तय कर लिया है ...
कल निरमा में डूबोकर तुम्हारी यादों को धुँधला करने वाला हूँ ..... सर्फ एक्सेल से करूँगा तो शायद मिटने का डर है

शायद तुम्हारा
धैर्यकांत मिश्रा

Tags: Memories, ROMANCE

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