क्या सरकारों ने ये तय कर रखा है की, चाहे कुछ भी हो जाए दरभंगा से विमानन सेवा नहीं शुरू करना है ??? इस बात पर यकीन इसलिए भी बढ़ जाता है की रौक्सौल जैसे जगह पे सरकार एअरपोर्ट के विकास का प्रस्ताव लती है जहाँ पे एअरपोर्ट विकसित करने में सरकार को करोड़ो रूपए खर्च करने परेंगे. लेकिन दरभंगा के लिए नहीं, दरभंगा में बिहार सबसे बड़ा रनवे होने के बाबजूद इसका विमानन सेवा के लिए चयन नहीं होना सरकार का पक्षपातपूर्ण रवैया दर्शाता है.
जबकि कुछ महीने पहले माननीय केन्द्रीय विमानन मंत्री महेश शर्मा (स्वतंत्र प्रभार) ने आल इंडिया रेडिओ के पब्लिक स्पीच कार्यक्रम में मिथिला स्टूडेंट यूनियन के अनूप कुमार मैथिल को एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा था की दरभंगा से विमानन सेवा शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. लेकिन जब घोसना की बरी आया तो उसमे दरभंगा का नाम नहीं था. इस सब के बाबजूद हमारे अकर्मण्य नेता इस पर कोई विरोध नहीं जताया बल्कि उनका जयजयकार करने में लगे थे.
मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने एक ऑनलाइन मुहीम चला के लोगो को प्रेरित किया की दरभंगा से विमानन सेवा शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखें. हजारो की संख्या में लोगो ने इस मुहीम का समर्थन करते हुए Interact with PM के लिंक पर जा के उन्हें पत्र लिखा.. लेकिन इस सब का उन पे कोई फर्क नहीं पड़ा.

दुनिया भर की सरकारें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर रही है. जबकि हमारी सरकार मिथिला में पर्यटन की असीम संभावना होने के बाबजूद इसके ओर ध्यान नहीं देना चाह रही है ऐसा क्यों???
मिथिला की इतिहासिक विरासत किसी से छुपी नहीं है, राजनगर का शानदार इतिहास, 2000 साल से भी ज्यादा पुरानी बलिराजगड की सभ्यता, कुदरत का दिया मनोरम कुशेश्वरस्थान पक्षी अभयारण्य, जहाँ हर साल विदेशी पक्षी दरभंगा के पर्यटन को चार चांद लगाते हैं, रामायण काल से जुड़ी अहल्या स्थान, गौतम कुण्ड माँ जानकी की जन्मस्थली, हलेश्वर स्थान और भी बहुत कुछ क्या नही है मिथिला के पास.
दरभंगा से हवाई सेवा शुरू होते ही ना सिर्फ दरभंगा भारत के पर्यटन मानचित्र से सीधा जुड़ जायेगा, बल्कि पर्यटकों के आने से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होगे. कुछ देश पर्यटन के बल पर समृद्धि देशों की कतार में खड़े हुए हैं साथ ही उन देशों में रोजगार के लाखों नये अवसर पैदा हुए हैं. आज पर्यटन अपने बल पर ना सिर्फ दरभंगा को विकसित इलाके के कतार में ला कर खड़ा कर सकता है, साथ ही लोगों की समृद्धि को भी बढ़ा सकता है.

हमारे मिथिला के लाखो लोग अपने घर से दूर देश-विदेश में रह रहे है, उन्हें जब घर आना होता है तो वे पटना तक तो कुछ ही घंटो में आराम से आ जाते हैं. लेकिन वहां से उन्हें अपने घर पहुंचने में 6 से लेके 20 घंटे तक लग जाता है. जिसके करण उनका कई जरुरी काम छुट जाता है. लोग अपने माता-पिता के जनाजा या अंतिम यात्रा में शामिल होने से चुक जाते है. लोग गाँधी सेतु के जाम में घंटो फंसे रहने को मजबूर होते है.
सरकार की मंशा मिथिला क्षेत्र को अविकसित रखने की लग रही है. न ही केंद्र की मोदी सरकार और नहीं राज्य के नितीश सरकार मिथिला के लिए कुछ करना चाहती है. जब चुनाव नजदीक आता है तो ये लोग विकास के सपने दिखा के वोट बटोर ले जाते है.. और चुनाव जितने के बाद 5 साल तक मिथिला को कोई देखने वाला नहीं होता है. हमारे मिथिला के नेता तो अपना अधिकार मांगने से भी डरते है.. की कहीं पार्टी उनपे अनुशासनहीनता का आरोप लगा के करवाई न कर दे.

अमित सिंह

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