आँख मेँ आँसू भरते क्या
करके ग़म भी करते क्या
जिसका दिल ही पत्थर था
उसपे जीते मरते क्या
कुछ उसकी मजबूरी थी
आखिर हम भी करते क्या
बीच भँवर मेँ थी कश्ती
तूफ़ानोँ से डरते क्या
तंगदिलोँ का मेला था
ऐसी जगह ठहरते क्या
- शिव
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- SHIV DIXIT
Comments (2 so far )
KAUSTUBH RAMTEKKAR
Wah Wah Wah!!!
June 4th, 2015
Author
Thanks KAUSTUBH RAMTEKKAR Ji.
June 9th, 2015