ये रात यूँही गुज़र जाएगी,
सुबह की किरण जब आकर जगाएगी ।।
खेलेगी नींद इन पलकों में तब तक,
कोई चिड़िया आवाज़ ना दे जब तक ।।
धीरे-धीरे फिर दिन चढ़ेगा,
जैसे के कोई अज़ान देगा ।।
घिर आएगी फिर शाम इस तरह,
अम्बर पर बादल छाए हो जिस तरह ।।
फिर रात सबको सुलाने के लिए आएगी,
आैर कहिं कोई माँ फिरसे लोरी सुनाएगी ।।
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- Anonymous