चर्च कभि मैं गया नही ।
फिर भी क्यों मुझे 'ईसु' से प्यार है ॥
ना कभी मैं मस्जिद गया हुं ।
फिर भी क्यों ऊनकी रहेमतो पे एतबार है ॥
गुरुद्वारा से नही मेरा कोई वास्ता ।
फिर भी क्यों 'नानक' मैं है मेरी आस्था ॥
कहेते है ' मंजिल ' पर पहुचतेही रास्ते सब छूट जाते है ।
फिर भी क्यों लोग राहों मे ऊलज जाते हैं ॥
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- NARESH CHAUHAN