रेत पर निशाँ पड़े थे हमारे,
मेरे निशाँ कुछ नहीं, तो ना सही.
लहरों पर आंसूं बहे थे हमारे,
मेरे आंसू कुछ नहीं, तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही.....
पत्तों के पीछे चेहरे छुपे थे हमारे,
मेरा चेहरा कुछ नहीं, तो ना सही.
साथ चल के रस्ते बनाये थे,
मेरा साथ कुछ नहीं, तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही.....
आहटें सुनी थी हमने साथ मे,
मेरी आवाज़ कुछ नहीं, तो ना सही.
इंतज़ार किया था साथ में,
मेरा इंतज़ार कुछ नहीं तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही......
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- ADITI PANT
Comments (5 so far )
ASHISH CHAUHAN
Agar koi cheez is duniya me sirf zarurat ke liye to to wo yaad rakhna dost, iska matlab o cheez HAMESHA nahi rahegi
September 27th, 2012
Author
praveen sir n ashish sir.. aap dono bhot acha likhte hai....
September 28th, 2012
Sir!! Zip-zap-zoop!! :D Praveen, did you too feel the same? ;)
Thanks Aditi, aur likhte to tum bhi heart-taking ho, no doubt. Aur hum sab dost haim - fellow-writers. Na koi sir na koi ma'am :) Awesome-day
Thanks Aditi, aur likhte to tum bhi heart-taking ho, no doubt. Aur hum sab dost haim - fellow-writers. Na koi sir na koi ma'am :) Awesome-day
September 28th, 2012
Author
okay okay....:-):-)
September 28th, 2012