हजारों रात का जागा हूँ सोना चाहता हूँ अब ,
तुझे मिलके मैं ये पलकें भिगोना चाहता हूँ अब ,
बहुत ढूंढा है तुझ को खुद में,इतना थक गया हूँ मैं ,
कि खुद को सौंप कर तुझ को,मैं खोना चाहता हूँ मैं
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- ARAK VATSA
Comments (1 so far )
TEJAS
wah....bahot khub....
September 21st, 2012