This is one letter which i believe every one of us, sons or daughters, must have tried to write at some point of time. Just doing the same.
Dear Mom and Dad
नमस्ते !
अक्सर पढ़ा था टेक्नालजी अपनों को करीब लाती है. वहीं अक्सर ये भी पढ़ा हाल के कुछ दिनों में की शायद टेक्नालजी हमें अपनों से दूर ले जाती है. टेलिफोन के आने के बाद शायद कभी किसी ने ये बात महसूस नही की. एक दस अंको का नंबर मिलने भर से ही जब अपनो से बात हो जाए तो शायद इस ख़याल को समझ पाना भी मुश्किल हो | मुझे भी कभी ये बात महसूस नही हुई | पर पिछले कुछ सालो में समझ आने लगा की आख़िर क्यू एक फोन की दूरी पर होते हुए भी मैं आप लोगो से और आप मुझसे दूर चले जा रहे हैं.
हर साल रक्षाबन्धन पर आती बुआजी की चिट्ठियाँ देख कर हँसी आती थी. उसमें लिखी बातों को पढ़ कर तो कुछ ज़्यादा ही. इतना प्यार, इतनी मोहब्बत. ऐसा लगता था मानो राजश्री प्रोडक्षन्स की कोई फिल्म हो जिसमें फुट फुट कर बेहन-भाई का प्यार डाला गया हो. इन्ही बूआओं का जब फोन आता था. तो मैं कान लगा कर कभी कभी सुना करता था... बातें तो मुझे कभी समझ आती नही थी. पर फिर भी उन बातों में वो प्यार ढूँढने की कोशिश करता था. बातें मीठी होती थी…पर उन चिट्ठियों से कोसो दूर. वो चिट्ठियाँ तो जैसे शहद में डुबो कर निकाली गयी थी और बड़ी ही बारीकी से एक एक चीनी के दानो में शब्दो को पिरोकार सजाया गया था . यही कारण था जो उनपर हँसी आती थी. मुझे बचपन से लगता था शायद चिट्ठियों में जो प्यार दिखता है वो सब बनावटी है. पर खैर मैं तो छोटा ही था तब तो मुझे कभी ये फ़र्क ज़्यादा समझ नही आया. सच –झूठ क्या है ? कैसे है? क्यू है? अगर कुछ समझ आने भी लगा तो मूह फेरना पसंद कर लेता था. ये कुछ ऐसा ही है.. जैसे डरावनी चुड़ैल को देख कर डर कर आँखें बंद कर लेना. शायद ये हम इंसानो का बुराई से बचने का सबसे बुनियादी तरीका है.
Dad, आप अक्सर कहते थे और आज भी कहतो हो… बस सत्य की राह पर चलो और मेहनत करते चलो. छोटी छोटी सी बातें थी कुछ ऐसे ही… जो आप मुझे बचपन से सिखाते रहे.. मुझे नही मालूम आपको इस बात का कितना इल्म है… पर सच तो यही है.. हर बच्चा अपने पिता जैसा बनाना चाहता है… ये महान, बड़ा आदमी, बड़ा लेखक, बड़ा डॉक्टर, बड़ा इंजिनियर.. ये सब तो ज़रूरत का लालच है या ज़रूरतों से पनपी मजबूरी. सच यही है की हर किसी को अपने पिता जैसा बनाना है.. वो कहावत है “जब बाप के जूते बेटे के पैरों में समाने लगे…” कुछ ऐसी ही… तो ये तो शायद एक ऐसी चीज़ है जो हर बच्चा बचपन से ही कोशिश करने लगता है.. छोटे , छोटे पैरो में अपने पिता की चप्पल चढ़ाए पूरे घर में घूमना..
लोग कहते हैं विदेशो में बच्चे अपने मा-बाप को प्यार नही करते, इज़्ज़त नही करते.. मुझे नही मालूम इसमें कितना सच है… ना ही बिना जाने इस पर मैं टिप्पणी करना पसंद करूँगा.. क्यूंकी जहाँ तक मेरी समझ जाती है.. इस दुनिया में पैदा हुआ हर इंसान अपने मा-बाप को उतना ही प्यार करता है जितना की कोई और.. ये प्यार किसी एक जाती , धर्म या देश का ठेके नही है..
इस सब से याद आया.. Mom तो शायद अभी भी यही सोच रही होंगी की मुझे ‘नेता’ बनाना चाहिए.. कहा की बात कहा पहुचा दी.. लिखते लिखते पता ही नही चला.. कुछ बातें है जो मैं आप लोगो से करना चाह रहा था.. और इस चिट्ठी को लिखने का लक्ष्य भी मेरा वही है..
ये चिट्ठी लिखना सबसे मुश्किल काम है शायद. और शायद आज मुझे वो रक्षाबन्धन की चिट्ठियों पर हँसी भी नही आ रही.. अब तो मुझे ताज्जुब होता है.. की बुआ सब कैसे कर लेते थे ये काम.. अपने दिल में उमड़ रहे विचारो को लिख पाना.. अपने भाइयो के प्रति प्यार को, अपने अंदर की सारी मिठास जो वो फोन पर आज भी छुपा जाती हैं, तो आख़िर कैसे वो सब कुछ लिख पाती हैं.. मैं तो ये चिट्ठी लिखते हुए ही काँप रहा हू..
Dad.. आपको पता है.. मुझे इस दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनाना है… नही मुझे लेखक बनाना है… उम्म्म.. नही मुझे फूटबाल प्लेयर बनाना है.. उम्म्म्म ......सच तो ये है की मुझे नही मालूम मुझे क्या बनाना है.. और सच ये भी है की वो मायने नही रखता… जितना प्यार आप लोग मुझसे करते हैं… आपको यकीन नही होगा.. पर उसे कहीं ज़्यादा मैं आप लोगो से प्यार करता हू..इसलिए मुझे कुछ भी बनना है जो आपको खुश रख सके |
आप तो हमेशा कह सकते हैं की मैं आपकी संतान हू तो आपका प्यार जायज़ है और ये बात जग जाहिर है.. आपको इस बात का प्रमाण देने की ज़रूरत नही.. ये तो एक ऐसी बात है जिसे इस दुनिया में हर कोई मानता है.. पर मुझे अपना प्यार साबित करना पड़ता है..मुझे दिखाना पड़ता है की मैं भी आप से प्यार करता हू. ज़िंदगी की मुश्किलें क्या है वो सब आपने देखी है और देख रहे हैं. पर शायद ये मुश्किल आप ना समझ पायें जिससे मैं और हर बच्चा गुज़रता है. मेरे लिए ये सब कह पाना आसान नहीं. पर तब भी मैं कोशिश कर रहा हू.. हम शायद कुछ ज़्यादा ही शरमाने वाली पीढ़ी हैं..
शायद ग़लती आप लोगो की है.. आप लोगो ने कभी वो प्यार कम होने ही नही दिया.. इस तरह आपको तो शायद हमेशा लगता रहा की मैं बड़ा हो रहा हू.. पर मैं आज भी वही बच्चा हू जो शायद मेरी आखरी याद में है.. वो जो गिरने पर रोने लगता था. जिसे आप फिर अपनी गोद में उठा कर कहते थे “चीटी मर गयी…” . मैं आज भी वो सब ग़लतियाँ करता हू.. पर आप एक बार भी मुझे नही कहते की “चीटी मर गयी…”. माना मैं बड़ा हो गया हू.. माना मुझे अब इस दुनिया के क़ायदों को समझना चाहिए.. पर आज भी कई बार ऐसा होता है जब मुझे लगता ही आज आप मुझे उठाए और कोसें ना.. एक पल के लिए ही सही |
आप कहते हो सब्र रखो.. सब ठीक हो जाएगा वक़्त के साथ.. पर इस झट-पाट फोन मिला कर बात करने वाली दुनिया में.. सब्र शायद वो चीज़ है जो वक़्त के साथ और ग़लतियों के साथ समझ आती है.. मैं भागना चाहता हू.. समय के साथ जमाने के साथ.. उड़ना चाहता हू.. पर अक्सर गिर जाता हू… मैं बड़ा हो गया हू, उम्र में शायद, अब मेरे लिए गिरना ठीक नही… आप कान पकड़ के कहेंगे की कहा था सब्र रखो.. आप ठीक थे.. और आप आज भी ठीक हैं.. पर एक बार… कभी जानने की कोशिश तो करिए की मैं क्यूँ भागना चाहता हू..मैं क्यू उड़ना चाहता हू.. मैं ये सब सिर्फ़ आप लोगो के लिए चाहता हू..मेरे लिए इस दुनिया में आप लोगो के सिवा कोई नही.. मैं आप लोगो से बहुत दूर हू.. अक्सर चीज़ों से डर जाता हू.. मुझे आदत नही खुद से लड़ने की, खुद से खड़े हो जाने की… मैं शायद उतना समझदार नही..
आप मुझे शर्मा जी, वर्मा जी के बच्चो का उदाहरण देते हैं.. रिश्तेदारों के बच्चो से मेरी काबिलियत को मिलाते हैं.. क्या मैने कभी आपके प्यार को शर्मा जी या वर्मा जी के प्यार से तोला?
मैं आप लोगो को बस इतना बताना चाहता हू की मैं आप लोगो से प्यार करता हू.. मेरे जीवन का हर लक्ष्य आपकी खुशी के लिए होता है.. मुझसे ग़लतियाँ हो जाती हैं.. मैं गिर जाता हू अक्सर.. एक बार बस एक बार और कह दीजिए “चीटी मर गयी…”. मैं फिर उठ खड़ा हो जाउगा .. मैं फिर मुस्कुराने लगूंगा.. मैं फिर चलने की कोशिश करूँगा..
ये टेक्नालजी की दुनिया में जहाँ आप लोगो से हर रोज बात कर पाता हूँ | पर तब भी वो सब नही कह पाता जो कहना चाहता हूँ | पुराने जमाने से आगे बढ़ आए हैं हम.. चिट्ठियों का दौर तो कब का निकल गया.. पर तब भी आज उसी पुराने ज़रिए से अपने दिल की बातें को आपको कहना चाह रहा था.. शायद ये लंबा रास्ता दूरियाँ घटाने के काम आए.. बस इसी उम्मीद के साथ
आपका नालायक बेटा