सहम जाता है मेरा दिल
देखकर उनकी आँखों में आशा
पर कैसे बताऊ उन्हें
नही है मैने कभी अपने आप को तलाशा.

जी रही हूँ उनके सहारे
और आगे भी यही होगा
उन्होनें है मुझे हर मोड़ पर समझा
और नहीं खा सकती उनकी आखें धोखा.

उनकी आँखों से देखती हूँ दुनिया
चाहती हूँ एक दिन बनूँ उनका सहारा
दे दू उन्हें दुनिया की सारी खुशियाँ
जिस तरह उन्होनें है मेरा हर दिन सवारा.

जिनकी उंगली पकडकर चलना सीखा
बनना चाहती हूँ उनके बुढापे की लाठी
कर लू पूरी दुनिया फतह
लगाकर मस्तक पर उनके चरणों की माटी

जिन्होनें देखी अपनी खुशी से पहले मेरी खुशी
उनके चहरे की मुस्कान बनना चाहती हूँ उनके सुख दुख में बनकर सहारा
हर दम उनके साथ चलना चाहती हूँ...
उनके साथ चलना चाहती हूँ....

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