दरिया किनारे चलते वक़्त आज मुझे ठोकर लगी
फिर भी मैं चलता रहा
जहाँ मैं सालों से चलता आ रहा हूँ
पर आज मुझे उसकी परछाई दिखाई दी !
मैं सितारों को देख रहा था
उसमे भी उसका चेहरा नज़र आ रहा था
वो ऊपर से मुझे देख कर मुश्कुरा रही थी
और मैं शरमा रहा था !
वो हवाओ में लिपट कर
मेरे कानो में कुछ कह रही थी
शायद अपना दर्द
अपनी मजबूरियां !
वो बारिश की बूंद बनकर
मेरे आंसुओ को भिगो कर शायद कहना चाह रही थी,
अब रोने के नहीं भींगने और भिगोने के दिन आ गए हैं
फिर एक उम्मीद जागी !
मैंने उसके ह्रदय में झाँक कर देखा
सारा खजाना सहेज कर रखा था
वो वही थी ....हाँ वो तुम ही थी .
Tags:
Sign In
to know Author
- Anonymous
Comments (3 so far )
PURPLE WINGS
beautiful lines :)
May 19th, 2014
Author
shukriya to all of u .
May 20th, 2014
मैंने उसके हà¥à¤°à¤¦à¤¯ में à¤à¤¾à¤à¤• कर देखा
सारा खजाना सहेज कर रखा था ..
A little abrupt ending
सारा खजाना सहेज कर रखा था ..
A little abrupt ending
September 12th, 2014