सांप बेरोजगार हो गये, अब आदमी काटने लगे..
कुत्ते क्या करे? तलवे, अब आदमी चाटने लगे..
हर पल नये रंग देख, गिरगिट अवसाद में है ..
क्या पाप क्या पुण्य, ये खाई आदमी पाटने लगे..
धर्म ग्रन्थ शोभा की वस्तुओं की तरह सज गये ..
चाँद मेरा सूर्य तेरा क्या क्या आदमी बाटने लगे ..
जिन्हें चुना सेवा के लिए, वो सिरों पर लद गये ...
आम बोकर बबूल की फसल आदमी काटने लगे.
या तो चुप रह या अपने रास्तों को काँटों से सजा..
सच बोलने पर अब सारे आदमी डांटने लगे ..
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- PRAVEEN CHOUDHARY
Comments (2 so far )
ASHISH CHAUHAN
hillariously awesom
September 2nd, 2012
Author
Thank You Ashish :)
September 3rd, 2012