जब सचिवालय में बैठे पदाधिकारी विकास की योजना सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए बनाने लगे तो राज्य का बंटाधार होना तय है | आज बिहार इसी मुहाने पर खड़ा जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा रहा है | तरह-तरह के भारी भरकम प्रोजेक्ट मीडिया के सतरंगी छांव में बना कर गरीब जनता को बरगलाया जाता है और उसी योजना के पीछे भारी लूट किया जाता है । भविष्य की चिंता किसी को भी नहीं है और साल दर साल राज्य कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है
बहुप्रचारित जल नल योजना भारी-भरकम प्रचार प्रसार के बजट के साथ लाया गया | इस योजना में भारी लूट को बस ऐसे समझा जा सकता है कि गांव-गाँव में नल का टोटी हर दिन सूखा हुआ मुंह चिढ़ाता रहता है | पानी की बात तो दूर अनगिनत जगहों पर नल का टोटी ही गायब मिल रहा है | प्रखंड मुख्यालय हरेक दिन ऐसे कंप्लेन से भरा रहता है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है | पैसे के बंदरबाट का खेल इस कदर योजना पर हावी है कि अनगिनित जनप्रतिनिधि जेल चले गए हैं और अगर किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जाए तो जो हकीकत सामने आयेगा वह आम इंसान को अचंभित कर देगा |
बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए लूट का खेल कोई नई बात नहीं है अपितु इस लूट में पंचायत स्तर के जनप्रतिनधि का जुड़ाव अचंभित करने वाला है | पूरी शाशन प्रशाशन का जोर एक मात्र वोट बैंक की राजनीति का है और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता को बड़े पैमाने पर धन का ट्रांसफर इस माध्यम से किया जा रहा है | जल नल योजना हो या जल जीवन जीवन हरियाली योजना सता पक्ष की सोच कहीं से भी इसके जमीनी क्रियांबन का नहीं है और गाहे-बगाहे इस बात की झलक नेता अवसर के बयान में मिल जाता है |
गरीबी राज्य के राजस्व की बर्बादी के खेल ने बिहार को विकास के पैमाने पर दशकों पीछे धकेलने का काम किया है | कोई ठोस विकासवादी कार्य जिससे रोजगार का सृजन हो यह पिछले 30 सालों से पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है | पलायन घर-घर की कहानी बन गई है और आये दिन हमें गरीब मजदूरों की दर्दनाक हकीकत मीडिया के माध्यम से पता चलता रहता है, लेकिन पटना में बैठे सत्ताधारी को कुछ फर्क नहीं पड़ता है | आज के वक्त की जरूरत है कि नौजवान आगे आकर इसका प्रतिकार करें तभी बिहार जैसे गरीब राज्य में विकास समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा |